Traditional Marketing Vs Digital Marketing in Hindi

पारंपरिक मार्केटिंग बनाम डिजिटल मार्केटिंग

अपने संभावित उपभोक्ताओं के वास्ते उत्पादों या सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग दो अलग-अलग उपमार्ग हैं। पारंपरिक मार्केटिंग में टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्र, पत्रिकाएं, बिलबोर्ड, डायरेक्ट मेल और फ़्लायर्स जैसे पारंपरिक चैनल शामिल होते हैं। डिजिटल मार्केटिंग वेबसाइट, सोशल मीडिया, ईमेल, सर्च इंजन अप्टिमाईज़ेशन, ऑनलाइन विज्ञापन और मोबाइल ऐप सहित डिजिटल प्लेटफॉर्म और तकनीकों का उपयोग करती है।

आज के व्यावसायिक परिप्रेक्ष्य में अंतर को समझने का महत्व:

प्रभावी रणनीतियाँ बनाने के लिए पारंपरिक मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग के बीच अंतर को समझना आवश्यक है। चूंकि उपभोक्ता जानकारी और खरीदारी के लिए तेजी से डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर रुख कर रहे हैं, इसलिए व्यवसायों को प्रत्येक मार्केटिंग दृष्टिकोण के विशिष्ट फायदे और सीमाओं को पहचानना चाहिए। यह ज्ञान कंपनियों को अपने संसाधनों को कुशलतापूर्वक आवंटित करने और उनकी पहुंच और प्रभाव को अधिकतम करने में सक्षम बनाता है।

इस ब्लॉग में हम पारंपरिक मार्केटिंग बनाम डिजिटल मार्केटिंग का व्यापक विश्लेषण प्रदान कर रहे हैं। इन दो उपमार्ग को डिकोड करके, हमारा उद्देश् व्यवसायों, मार्केटर्स और उद्यमियों को कहाँ पर अपने प्रयासों को केंद्रित करके अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं, उसका निर्णय लेने में मदद करना है। चाहे आप एक स्टार्टअप हों या एक स्थापित उद्यम, इन अंतरों को समझने से आपकी मार्केटिंग रणनीति में काफी सुधार हो सकता है और बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।

पारंपरिक मार्केटिंग बनाम डिजिटल मार्केटिंग का विश्लेषण

पारंपरिक मार्केटिंग की परिभाषा और विशेषताएँ

पारंपरिक मार्केटिंग उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के पारंपरिक तरीकों को संदर्भित करता है। मार्केटिंग के इस रूप का उपयोग दशकों से किया जा रहा है और यह संभावित ग्राहकों  तक पहुंचने के लिए ऑफ़लाइन चैनलों पर निर्भर करता है। पारंपरिक मार्केटिंग की प्रमुख विशेषताओं में इसकी मूर्त प्रकृति, स्थानीय उपभोक्ताओं को प्रभावी ढंग से लक्षित करने की क्षमता और एक-तरफ़ा संचार मॉडल शामिल है जहां व्यवसाय तत्काल प्रतिक्रिया के बिना संभावित उपभोक्ताओं को अपना संदेश प्रसारित करते हैं।

पारंपरिक मार्केटिंग के उदाहरण

प्रिंट एड्वर्टाइज़िंग

प्रिंट विज्ञापन पारंपरिक मार्केटिंग के सबसे पुराने रूपों में से एक है। इसमें पाठकों तक पहुंचने के लिए समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में विज्ञापन देना शामिल है। ये विज्ञापन बजट और मार्केटिंग लक्ष्यों के आधार पर छोटी वर्गीकृत सूचियों से लेकर पूर्ण-पृष्ठ प्रसार तक हो सकते हैं। प्रकाशन के पाठकों के आधार पर विशिष्ट जनसांख्यिकी को लक्षित करने के लिए प्रिंट विज्ञापन विशेष रूप से प्रभावी है।

टेलीविजन और रेडियो विज्ञापन

पारंपरिक मार्केटिंग में टेलीविजन और रेडियो विज्ञापन शक्तिशाली उपकरण हैं। टीवी विज्ञापनों में आकर्षक संदेश बनाने के लिए दृश्य और ध्वनि के संयोजन का लाभ होता है, जबकि रेडियो विज्ञापन श्रोता का ध्यान खींचने के लिए ऑडियो पर निर्भर होते हैं। ये विज्ञापन व्यापक दर्शकों तक पहुंच सकते हैं, जो उन्हें बड़े पैमाने पर मार्केटिंग अभियानों के लिए उपयुक्त बनाते हैं। वो व्यवसाय जिनकी उच्च उत्पादन लागत होती है और समय की बाध्यता होती है उनके लिए यह मध्यम विचारणीय हो सकता है। 

टेलिमार्केटिंग

यह किसी उत्पाद या सेवा में रुचि जगाने के लिए संभावित उपभोक्ताओं को फोन पर कॉल करने की प्रथा है। इसका उपयोग आमतौर पर बैंकों, कॉरपोरेट्स और अन्य संस्थानों द्वारा किया जाता है। वे विभिन्न स्रोतों के माध्यम से टेलीफोन नंबर संकलित करके कॉल करवाते हैं और उपभोक्ताओं को उनकी सेवाओं या उत्पादों के लिए लक्षित करते हैं।

बिलबोर्ड्स और पोस्टर्स

बिलबोर्ड और पोस्टर आउटडोर विज्ञापन के आवश्यक घटक हैं। उच्च यातायात वाले क्षेत्रों में सामरिक दृष्टि से स्थित, इन्हें राहगीरों का ध्यान आकर्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बिलबोर्ड आमतौर पर बड़े होते हैं और दूर से दिखाई देते हैं, जबकि पोस्टर छोटे होते हैं और अक्सर बस स्टॉप या सबवे जैसे विशिष्ट स्थानों पर पाए जाते हैं। विज्ञापन के ये प्रारूप ब्रांड जागरूकता पैदा करने और बार-बार प्रदर्शन के माध्यम से मार्केटिंग संदेशों को मजबूत करने के लिए प्रभावी हैं।

डिजिटल मार्केटिंग की परिभाषा और विशेषताएँ

डिजिटल मार्केटिंग उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल चैनलों, प्लेटफार्मों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है। डिजिटल मार्केटिंग अधिक केंद्रित और किफायती होती है और इसके द्वारा व्यावसायी अपने वांछित दर्शकों को सटीक रूप से चिन्हित कर लेते है। पारंपरिक मार्केटिंग के विपरीत, जो प्रिंट विज्ञापनों और बिलबोर्ड जैसे भौतिक मीडिया पर निर्भर करती है, डिजिटल मार्केटिंग वैश्विक दर्शकों तक पहुंचने के लिए इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का लाभ उठाती है। इसकी प्रमुख विशेषताओं में रियल-टाइम डेटा एनालिटिक्स, लक्षित विज्ञापन, कॉस्ट-इफेक्टिव और उपभोक्ताओं के साथ इंटरैक्टिव जुड़ाव शामिल हैं। डिजिटल मार्केटिंग युक्तियों को विभिन्न क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं को संपादित करने के लिए अनुकूल बनाया जा सकता है, जिससे यह सभी छोटे बड़े प्रकार के व्यवसायों के लिए यह एक बहुमुखी उपकरण बन जाता है। इसके विपरीत, पारंपरिक मार्केटिंग में अधिक सामान्यीकृत, व्यापक-आधारित दृष्टिकोण होता है। 

डिजिटल मार्केटिंग के उदाहरण

डिजिटल कैंपेन्स

डिजिटल कैंपेन्स बहुआयामी मार्केटिंग प्रयास हैं जो संभावित उपभोक्ताओं को जोड़ने के लिए विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों का उपयोग करा जाता हैं। सामान्य उदाहरणों में रोडब्लॉक, डिजिटल डिस्प्ले और बैनर विज्ञापन शामिल हैं। रोडब्लॉक का तात्पर्य अधिकतम दृश्यता सुनिश्चित करने के लिए कई प्लेटफार्मों पर डिजिटल विज्ञापन स्थानों के सिंक्रनाइस्ड टेक-ओवर से है। डिजिटल डिस्प्ले देखने में आकर्षक विज्ञापन होते हैं जो वेबसाइटों, ऐप्स और डिजिटल बिलबोर्ड पर दिखाई देते हैं, जिनमें अक्सर वीडियो और एनिमेशन जैसी समृद्ध मीडिया सामग्री का उपयोग किया जाता है। बैनर विज्ञापन वेब पेजों पर प्रदर्शित ग्राफिकल विज्ञापन हैं, जिन्हें क्लिक आकर्षित करने और विज्ञापनदाता की साइट पर ट्रैफ़िक लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इन अभियानों को वास्तविक समय में प्रदर्शन के लिए सटीक रूप से लक्षित और मॉनिटर किया जा सकता है।

सोशियल मीडीया मार्केटिंग

सोशल मीडिया मार्केटिंग में दर्शकों से जुड़ने, ब्रांड जागरूकता पैदा करने और बिक्री बढ़ाने के लिए फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स (ट्विटर), लिंक्डइन जैसे प्लेटफार्मों का उपयोग करना शामिल है। फेसबुक पर, व्यवसाय उपयोगकर्ता की जनसांख्यिकीय और व्यवहार के आधार पर अनुकूलित विज्ञापन बना सकते हैं, पोस्ट और टिप्पणियों के माध्यम से फॉलोवर्स के साथ जुड़ सकते हैं और वास्तविक समय की बातचीत के लिए फेसबुक लाइव जैसे टूल का लाभ उठा सकते हैं। इंस्टाग्राम इमेजस, वीडियो और स्टोरीज़ के माध्यम से विज़ुअल स्टोरीटेलिंग की सुविधा प्रदान करता है, जिससे ब्रांडों को अपने उत्पादों को रचनात्मक रूप से प्रदर्शित करने की अनुमति मिलती है। एक्स ट्वीट और ट्रेंडिंग हैशटैग के माध्यम से वास्तविक समय अपडेट, ग्राहक सेवा और जुड़ाव के लिए एक मंच प्रदान करता है। सोशल मीडिया मार्केटिंग उपभोक्ताओं के साथ सीधे संचार और एक वफादार ऑनलाइन समुदाय बनाने की क्षमता प्रदान करती है।

पारंपरिक मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग के बीच 7 प्रमुख अंतर

1- प्रमोशन का माध्यम

पारंपरिक मार्केटिंग: इसमें टेलीविजन, रेडियो, समाचार पत्र, पत्रिकाएं, बिलबोर्ड, डायरेक्ट मेल और फ़्लायर्स जैसे पारंपरिक चैनल शामिल हैं।

डिजिटल मार्केटिंग: वेबसाइट, सोशल मीडिया, ईमेल, सर्च इंजन, ऑनलाइन विज्ञापन और मोबाइल ऐप सहित डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है।

2- रीच और टार्गेटिंग

पारंपरिक मार्केटिंग: इसमें आम तौर पर व्यापक पहुंच और कम सटीक टार्गेटिंग होता है। विज्ञापन व्यापक दर्शकों के सामने प्रदर्शित किए जाते हैं, जिनमें वे लोग भी शामिल होते हैं जिनकी उत्पाद या सेवा में रुचि नहीं होती है।

डिजिटल मार्केटिंग: अत्यधिक लक्षित अभियान प्रदान करता है, जिससे व्यवसायों को विशिष्ट जनसांख्यिकी, रुचियों, व्यवहार और स्थानों तक पहुंचने की अनुमति मिलती है। इससे अधिक प्रासंगिक दर्शकों तक पहुंच कर निवेश पर अधिक रिटर्न (आरओआई) प्राप्त किया जा सकता है।

3- लागत और ROI:

पारंपरिक मार्केटिंग: विशेष रूप से टेलीविजन या प्रिंट प्रकाशनों जैसे लोकप्रिय प्लेटफार्मों पर विज्ञापन के लिए अधिक महंगा हो सकता है। रोई को मापना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

डिजिटल मार्केटिंग: आम तौर पर अधिक कॉस्ट-एफेक्टिव, और आरओआई को एनालिटिक्स टूल के माध्यम से अधिक सटीक रूप से ट्रैक किया जा सकता है। विज्ञापनदाता प्रदर्शन और दक्षता में सुधार के लिए वास्तविक समय में अभियानों को अनुकूलित कर सकते है।

4- पारस्परिक प्रक्रिया और बंधन:

पारंपरिक मार्केटिंग: दर्शकों के साथ सीमित पारस्परिक प्रक्रिया प्रदान करता है। यह एकतरफा संचार है जहां दर्शकों को तत्काल पारस्परिक प्रक्रिया के बिना संदेश प्राप्त होता है।

डिजिटल मार्केटिंग: दर्शकों से वास्तविक समय पर पारस्परिक प्रक्रिया, जुड़ाव और प्रतिक्रिया की अनुमति देता है। व्यवसाय टिप्पणियों, संदेशों, समीक्षाओं और अन्य इंटरैक्टिव सुविधाओं के माध्यम से उपभोक्ताओं को को अपने साथ जोड़े रख सकते हैं।

6- मापनीयता और विश्लेषण

पारंपरिक मार्केटिंग: किसी अभियान की सफलता को मापना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है, इसकी प्रभावशीलता का सटीक विश्लेषण करने के लिए सीमित डेटा उपलब्ध होता है।

डिजिटल मार्केटिंग: व्यापक विश्लेषण और डेटा प्रदान करता है, जिससे व्यवसायों को अपने अभियानों के प्रदर्शन को विस्तार से ट्रैक करने का अवसर मिलता है। इंप्रेशन, क्लिक, रूपांतरण और ग्राहक व्यवहार जैसे मेट्रिक्स को मापा जा सकता है और विश्लेषण भी किया जा सकता है।

7- ग्लोबल बनाम स्थानीय पहुंच

पारंपरिक मार्केटिंग: इसमें स्थानीय या क्षेत्रीय फोकस हो सकता है, जो इसे विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों को लक्षित करने वाले व्यवसायों के लिए उपयुक्त बनाता है।

डिजिटल मार्केटिंग: वैश्विक पहुंच प्रदान करता है, जिससे व्यवसायों को न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दर्शकों को लक्षित करने का अवसर मिलता है।

पारंपरिक मार्केटिंग के फायदे और नुकसान

पारंपरिक मार्केटिंग के फायदे

भरोसा और विश्वसनीयता बनाता है: 

पारंपरिक मार्केटिंग के विभिन्न माध्यम, जैसे प्रिंट विज्ञापन, टेलीविज़न विज्ञापन और रेडियो स्पॉट, दशकों से उपयोग में हैं। इन माध्यमों की मौजूदगी लंबे समय से है और इन्हें अक्सर अधिक भरोसेमंद माना जाता है। प्रिंटेड ब्रोशर का स्पर्श अनुभव या टीवी विज्ञापन की लगातार उपस्थिति उपभोक्ताओं के बीच विश्वसनीयता और भरोसे की भावना पैदा कर सकती है। यह भरोसा अमूल्य है, खासकर उन स्थापित ब्रांडों के लिए जो बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।

बार-बार प्रदर्शन द्वारा ब्रांड पहचान बनाता है:

बार-बार का प्रदर्शन ब्रांड की पहचान बनाने में एक महत्वपूर्ण कारक है और पारंपरिक मार्केटिंग इस पहलू में उत्कृष्ट है। समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और बिलबोर्डों पर लगातार विज्ञापन देकर, ब्रांड यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनका संदेश व्यापक दर्शकों द्वारा बार-बार देखा जाए। बार-बार प्रदर्शित होने से ब्रांड को उपभोक्ता की स्मृति में अंकित करने, समय के साथ ब्रांड का स्मरण और विश्वास को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।

पारंपरिक मार्केटिंग के नुकसान

सीमित उपभोक्ता लक्ष्यीकरण:

विशिष्ट जनसांख्यिकी को टारगेट करने की इसकी सीमित क्षमता पारंपरिक मार्केटिंग की महत्वपूर्ण कमियों में से एक है। पारंपरिक मीडिया अक्सर व्यापक उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करता है, जिससे विशिष्ट वर्गों के लिए संदेशों को प्रभावी ढंग से तैयार करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। उदाहरण के लिए, एक अखबार का विज्ञापन पाठकों की एक विस्तृत श्रृंखला तक पहुंच सकता है किंतु केवल एक छोटा सा हिस्सा ही ब्रांड का वास्तविक लक्षित उपभोक्ता वर्ग हो सकता है। इस फोकस की इस कमी के कारण मार्केटिंग बजट का अप्रभावी उपयोग और मार्केटिंग अभियान के कम प्रभावशाली होने की संभावना रहती है।

डिजिटल मार्केटिंग के फायदे और नुकसान

डिजिटल मार्केटिंग के फायदे: 

लक्षित उपभोक्ताओं तक पहुंच:

डिजिटल मार्केटिंग विशिष्ट उपभोक्ता वर्ग तक सटीकता के साथ पहुंचने में सक्षम होती है। पारंपरिक मार्केटिंग के विपरीत, जो की अक्सर विज्ञापन का व्यापक जाल बिछाती है, डिजिटल मार्केटिंग संभावित उपभोक्ताओं को उनकी जनसांख्यिकी, रुचियों और ऑनलाइन व्यवहार के आधार पर लक्षित करने के लिए डेटा एनालिटिक्स और एल्गोरिदम का उपयोग करती है। यह लक्षित दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि मार्केटिंग प्रयास अधिक प्रभावी और कुशल हो, जिससे उच्च कनवर्ज़न रेट और निवेश पर बेहतर रिटर्न (आरओआई) प्राप्त होता है।

इस मार्केटिंग प्रणाली में सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ), सर्च इंजन मार्केटिंग (एसईएम), सोशल मीडिया ऑप्टिमाइजेशन (एसएमओ) और सोशल मीडिया मार्केटिंग (एसएमएम) सेवाएं वांछित उपभोक्ताओं के सटीक लक्ष्यीकरण में बेहतरीन योगदान प्रदान करती हैं। 

लागत से अधिक फायदा (कॉस्ट एफेक्टिव) 

डिजिटल मार्केटिंग सभी प्रकार के व्यवसायों के लिए लागत प्रभावी समाधान प्रदान करती है। यह आम तौर पर पारंपरिक मार्केटिंग की तुलना में अधिक लागत प्रभावी है। इसमें हर प्रकार के बजट के लिए उपयुक्त विकल्प होते हैं। विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यम (एसएमई), मोटा पैसा खर्च करे बिना, बड़े उद्यमों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए डिजिटल मार्केटिंग का लाभ उठा सकते हैं। सोशल मीडिया, ईमेल मार्केटिंग और पे-पर-क्लिक (पीपीसी) विज्ञापन जैसे प्लेटफ़ॉर्म स्केलेबल ऑप्शन प्रदान करते है। इन सेवाओं की वजह से विभिन्न बजट बाधाओं को पूरा करने, पर्याप्त वित्तीय निवेश की आवश्यकता के बिना, पहुंच और प्रभाव को अधिकतम करने के लिए तैयार किया जा सकता है।

विश्वसनीयता बनाता है:

डिजिटल मार्केटिंग का एक और महत्वपूर्ण लाभ इसकी विश्वसनीयता बनाने की क्षमता है। जब डिजिटल विज्ञापन ब्रांड-सुरक्षित प्रकाशक वातावरण में रखे जाते हैं, तो उन्हें इन प्लेटफार्मों के विश्वास और प्रतिष्ठा से लाभ होता है। यह सामंजस्य विज्ञापित ब्रांड की विश्वसनीयता को बढ़ाता है, जिससे संभावित उपभोक्ताओं को सामग्री के साथ जुड़ने और पेश किए जा रहे उत्पादों या सेवाओं पर विचार करने की अधिक संभावना होती है।

कैंपेन के परिणामों को ट्रैक किया जा सकता है

विस्तृत विश्लेषण और मीट्रिक्स मापने योग्य परिणाम प्रदान करते हैं, जिससे कैंपेन की सफलता को ट्रैक करना आसान हो जाता है।

त्वरित परिशोधन का मौका

डिजिटल मार्केटिंग लचीलापन प्रदान करता है, क्योंकि प्रदर्शन डेटा के आधार पर कैंपेन की कमियों को जल्दी से सुधरा जा सकता है। इससे विज्ञापन लागत बचती है और कम होती है।

उपभोक्ताओं के साथ सीधा संपर्क

सोशल मीडिया और ईमेल जैसे इंटरैक्टिव माध्यम उपभोक्ताओं के साथ सीधे संपर्क को संभव बनाते हैं।

डिजिटल मार्केटिंग के नुकसान: 

निरंतर संयोजन की आवश्यकता

डिजिटल मार्केटिंग की प्राथमिक चुनौतियों में से एक निरंतर संयोजन की आवश्यकता है। डिजिटल परिदृश्य लगातार विकसित हो रहा है, जिसमें नए रुझान, तकनीक और एल्गोरिदम नियमित रूप से उभर रहे हैं।

मार्केटर्स को इन परिवर्तनों के साथ समन्वय रखना पड़ता है और प्रभावी बने रहने के लिए अपनी रणनीतियों को तदनुसार समायोजित करते रहना पड़ता है। संयोजन की यह निरंतर आवश्यकता रीसोर्स-इंटेन्सिव हो सकती है और इसके लिए निरंतर सीखने और लचीलेपन के लिए प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।

असाधारण बने रहना चुनौतीपूर्ण

डिजिटल स्पेस में भीड़ हो सकती है, जिससे असाधारण बने रहना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कुछ उपयोगकर्ताओं द्वारा एड-ब्लॉकर्स का उपयोग ऑनलाइन विज्ञापनों के प्रभाव को कम कर सकता है। डिजिटल मार्केटिंग तकनीक पर बहुत अधिक निर्भर करती है, इसके लिए विश्वसनीय इंटरनेट एक्सेस की आवश्यकता होती है और तकनीकी मुद्दों के प्रति संवेदनशील होती है। डेटा गोपनीयता और व्यक्तिगत जानकारी के नैतिक उपयोग पर बढ़ती चिंताएँ डिजिटल मार्केटिंग रणनीतियों और उपयोगकर्ता के भरोसे को भी प्रभावित कर सकती हैं।

उपसंहार

मार्केटिंग के पारंपरिक तरीके 20वीं सदी के मध्य और आखिरी दौर में पनपे, हालांकि इसकी जड़ें बहुत पहले से हैं। जब आप टीवी पर कोई विज्ञापन देखते हैं, एफएम पर कोई विज्ञापन सुनते हैं, किसी पत्रिका, अखबार में विज्ञापन पढ़ते हैं या बिलबोर्ड देखते हैं तो आप पारंपरिक मार्केटिंग से जुड़ रहे होते हैं। मार्केटिंग के पारंपरिक तरीके बड़े व्यवसायों के लिए वरदान साबित हुए हैं जो हाई प्रोफाइल और प्राइम टाइम विज्ञापनों के लिए पैसे खर्च कर सकते हैं।

डिजिटल मार्केटिंग के बढ़ते चलन के साथ, छोटे व्यवसायों को भी एक ठोस मार्केटिंग रणनीति बनाने का मौका मिलता है क्योंकि डिजिटल मार्केटिंग ऑनलाइन दुनिया में अत्यंत प्रभावशाली है। उन्हें बस एक अच्छे कॉंटेंट वाली और तेज़ रेस्पोंसीव वेबसाइट की आवश्यकता होती है। एक अच्छी तरह से सोची-समझी मार्केटिंग रणनीति आसानी से साइट ट्रैफ़िक को कई गुना बढ़ा सकती है। आपको यह जानने के लिए आँकड़ों का इंतज़ार करने की भी ज़रूरत नहीं है कि आपकी रणनीति काम कर रही है या नहीं। डिजिटल मार्केटिंग के साथ, विज्ञापन पहुंच तुरंत खरीद में बदल जाती है। इसलिए, व्यवसाय के मालिकों को पता चल जाएगा कि क्या काम कर रहा है और क्या नहीं और वे अपनी मार्केटिंग रणनीति बदल सकते हैं।

दोनों तरीक़ो के अपने फायदे हैं और व्यापक मार्केटिंग रणनीति बनाने के लिए अक्सर इनका संयोजन किया जाता है।डिजिटल मार्केटिंग, पारंपरिक मार्केटिंग या दोनों के संयोजन का उपयोग करने का विकल्प व्यवसाय की प्रकृति, लक्षित उपभोक्ताओं, बजट और मार्केटिंग उद्देश्यों पर निर्भर करता है। हालांकि, इस पोस्ट को पढ़ने और विश्लेषण करने के बाद यह बात आसानी से मानी जा सकती है कि आज की प्रवर्तित डिजिटल परिपेक्ष की दुनिया में पारंपरिक मार्केटिंग के प्रभाव में कमी तो अवश्य आ रही है।

डिजिटल आज़ादी विधयार्थी – अरुण मेहरोत्रा

1 thought on “Traditional Marketing Vs Digital Marketing in Hindi”

  1. Guddu Singh

    बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने
    धन्यवाद

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